tag:blogger.com,1999:blog-1354383306273531116.post7933851782593324315..comments2022-11-19T19:28:15.473+05:30Comments on मेरे बिखरे पन्ने : सहजता में गहराई: 'अहसासों के अक्स'arpanadiptihttp://www.blogger.com/profile/08227511512496780010noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-1354383306273531116.post-81224400241308885862011-04-27T19:19:47.181+05:302011-04-27T19:19:47.181+05:30काव्यसंग्रह की बहुत ही सशक्त और सुंदर समीक्षा के ल...काव्यसंग्रह की बहुत ही सशक्त और सुंदर समीक्षा के लिए धन्यवाद.. आपके ब्लाग पर शायद पहली बार आया हूँ देरी से आने के लिए क्षमा चाहूँगा |Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1354383306273531116.post-16639210938524277862011-04-26T09:41:43.400+05:302011-04-26T09:41:43.400+05:30बहुत सुन्दर समीक्षा...बधाई.
_____________________...बहुत सुन्दर समीक्षा...बधाई. <br />________________________<br />'पाखी की दुनिया' में 'पाखी बनी क्लास-मानीटर' !!Akshitaa (Pakhi)https://www.blogger.com/profile/06040970399010747427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1354383306273531116.post-51550662306592685332011-04-15T16:16:55.706+05:302011-04-15T16:16:55.706+05:30`इन जर्जर संबंधो में-/ अपनत्व खोजना/ठीक वैसा ही है...`इन जर्जर संबंधो में-/ अपनत्व खोजना/ठीक वैसा ही है-/ जैसे शवों में स्पंदन की चाह।'<br /><br />सुंदर पंक्तियां.... बढिया समीक्ष के लिए बधाई दीप्तिजी॥चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.com