शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

विद्यापति भगवती वंदना

जय जय भैरब असुर भयाउनी ,पशुपति भामिनी माया
सहज सुमति वर दिअ है गोसाउनि , अनुगति गत तूअ पाया

बासर रइनी शवासन शोभित ,चरण चन्द्र मणि चूडा
कतेक दैत्य मरि मुख मेलल, कतेक उगली कयल कूड़ा

साँवर बदन नयन अनुराज्जित , जल्द जोग फूल कोका
कट कट विकट ओठ पुट पांडरी, लिधुर फेन उठ फोका

घन घन घनन घुंघुरू कटि बाजए, हन हन कर तुअ काता
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक , पुत्र बिसरू जनु माता

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