बुधवार, 28 जुलाई 2010

लोकार्पण : चर्चा : सम्मान

1 टिप्पणी:

  1. साहित्य मंथन के निमंत्रण पर आप आयीं और अपना विषय पर केन्द्रित आलेख पढ़ा .धन्यवाद. आप के ब्लॉग पर अपना फोटो देखकर अच्छा लगा.
    -डॉ.बी. बालाजी,सयोंजक ,साहित्य मंथन

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गिरते हुए आप कहाँ अटक रहे हैं यह भी बहुत महत्वपूर्ण है।

  मैंने आसानी से उन चीजों की तलाश छोड़ दीं जो मुझे पसंद रहीं और उन पर राज़ी होना सीख लिया नियति मेरे रस्ते में लाती गई। इसमें कोई बुराई नहीं!...