यूँ तो शिव के अनंत रूप हैं पर पार्वती वल्लभं सर्वाधिक काम्य है। पार्वती ने शिव की अन्यमनस्कता, पिता की इच्छा और सामाजिक परिस्थितियों, अन्य बेहतर विकल्पों की मौजूदगी के बावजूद अपने प्रेम में उनका वरण किया और विवाह के बाद भी भूतनाथ को उनके स्पेस में वह रहने दिया जो वह थे। व्यक्तिगत स्वायत्ता और प्रेम का ऐसा मेल आकर्षित करता है।
खैर! यह मेरी रीरिडिंग है शिव-पार्वती की कथा का।
बाकी व्रतों/कथाओं/परंपराओं को वक़्त के हिसाब से बदलना चाहिए ही।
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