गुरुवार, 28 अगस्त 2025

परंपराओं को वक़्त के हिसाब से बदलना चाहिए

 यूँ तो शिव के अनंत रूप हैं पर पार्वती वल्लभं सर्वाधिक काम्य है। पार्वती ने शिव की अन्यमनस्कता, पिता की इच्छा और सामाजिक परिस्थितियों, अन्य बेहतर विकल्पों की मौजूदगी के बावजूद अपने प्रेम में उनका वरण किया और विवाह के बाद भी भूतनाथ को उनके स्पेस में वह रहने दिया जो वह थे। व्यक्तिगत स्वायत्ता और प्रेम का ऐसा मेल आकर्षित करता है।

खैर! यह मेरी रीरिडिंग है शिव-पार्वती की कथा का।
बाकी व्रतों/कथाओं/परंपराओं को वक़्त के हिसाब से बदलना चाहिए ही।




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गिरते हुए आप कहाँ अटक रहे हैं यह भी बहुत महत्वपूर्ण है।

  मैंने आसानी से उन चीजों की तलाश छोड़ दीं जो मुझे पसंद रहीं और उन पर राज़ी होना सीख लिया नियति मेरे रस्ते में लाती गई। इसमें कोई बुराई नहीं!...