कहते हैं रानी पद्मावती इतनी गोरी और
सुकुमारी थीं कि जब पानी पीती थीं तो गले की नासिका से पानी की धारा बहती हुई
दिखाई देती थी,
पान खाती थी तो वह नासिका लाल रंग में रंगी दिखती थी और जब बाल
खोलकर कंघा करती थी तो पूरी धरती पर अंधेरा छा जाता था; ऐसी
रानी पदमावती के किरदार के रूप में दीपिका पादुकोण को देखने के लिए दर्शक उतावले
हैं।
वैसे इस फ़िल्म ने राजनीतिक गलियारों में
काफी उथल-पुथल मचा रखा है |
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बाजीराव मस्तानी फ़िल्म से सबको
रोमांचित तथा उद्भूत कर देने वाले संजय लीला भंसाली, दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह इस बार
लेकर आ रहे हैं पद्मावती। एक रानी थी चित्तौड़ की पद्मिनी, जिसे
पद्मावती के नाम से भी जाना जाता है। इतिहासकारों की माने
तो 13वीं-14वीं सदी की यह एक महान भारतीय रानी थीं। हालांकि इसका कोई प्रमाण नहीं
है कि रानी पद्मिनी इतिहास के अस्तित्व में भी थी या नहीं। इसी कारण अधिकांश आधुनिक इतिहासकारों ने 13वीं सदी की रानी पद्मावती के अस्तित्व को
खारिज किया है। हालांकि रानी पद्मिनी के साहस और बलिदान की गौरवगाथा इतिहास में
अमर है।
सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और
रानी चंपावती की बेटी पद्मिनी चित्तौड़ के राजा रतनसिंह के साथ ब्याही गई थी। कहा
जाता है रानी पद्मिनी बहुत खूबसूरत थी और उनकी खूबसूरती पर चित्तौड़ को लूटने वाले
दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की बुरी नजर पड़ गई और अलाउद्दीन किसी भी कीमत
पर रानी पद्मिनी को हासिल करना चाहता था, इसलिए उसने चित्तौड़
पर हमला कर दिया। अपनी आन-बान और शान को बचाने के लिए रानी पद्मिनी ने आग में
कूदकर जौहर किया लेकिन अपने अस्तित्व पर आंच नहीं आने दी। इस कथा को हिंदी साहित्य
के महान कवियों में शुमार कवि मलिक मुहम्मद जायसी ने अवधी भाषा में पद्मावत ग्रंथ
लिखा था।
फ़िल्म के रिलीज होने से पूर्व जो विवाद
उत्पन्न हुआ है उसका कारण भी यही है कि लोगों को कहानी और फ़िल्म में अंतर समझ में
नहीं आया। वस्तुतः फिल्मकारों पर भी यह आरोप समय समय पर लगते रहे हैं कि उन्होंने
इतिहास, मिथक और कल्पना जगत में विचरती कहानियों को तोड़ मरोड़ कर जनता के समक्ष
फ़िल्म के रूप में पेश किया है।
बॉलीवुड की सबसे महंगी फिल्म
संजय लीला भंसाली द्वारा लिखित, निर्देशित तथा
निर्मित इस फ़िल्म में मुख्य किरदारों में दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर और रणवीर
सिंह तथा रजा मुराद हैं। फ़िल्म एक दिसम्बर को
सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी। फ़िल्म में दीपिका पादुकोण- रानी पद्मिनी, शाहिद कपूर- रावल
रतन सिंह, रणवीर सिंह-अलाउद्दीन खिलजी, अदिति राव हैदरी - कमला देवी के रुप में नज़र आएंगे। इसके अलावा ऐश्वर्या
राय बच्चन और सोनू सूद भी फ़िल्म में अभिनय करते नजर आएंगे। फिल्म की शूटिंग्स
के दौरान राजपूत करणी सेना के कुछ सदस्यों ने फिल्म का विरोध किया और जयगढ़ दुर्ग
में फिल्म के सेट पर तोड़फोड़ की। उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म में ऐतिहासिक
तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गयी है। कुछ समय बाद फिल्म के निर्माताओं ने यह आश्वासन
दिलाया कि फिल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। किन्तु इन सदस्यों ने फिर
से चित्तौड़गढ़ किला पर हमला किया और रानी
पद्मिनी के महल का दर्पण तोड़ दिया । भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों के
मुताबिक इन दर्पणों को लगभग चालीस साल पहले चित्तौड़गढ़ किले
में रखा गया था। इसके अलावा कोल्हापुर में भी इस फिल्म के सेट पर आग लगा दी गई थी।
जिससे उत्पादन सेट, वेशभूषा और गहने जल गए। जिसके कारण फिल्म का उत्पादन बजट 160 करोड़ से बढ़कर 200 करोड़ हो गया है।
ऐसे में इसे अब तक की सबसे महंगी बॉलीवुड फिल्म होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
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खिलजी के रूप में रणवीर लगे हैं बेहद खतरनाक
'पद्मावती' में रणवीर बेहद
खौफनाक रूप में नजर आ रहे हैं। उनकी सिर्फ दाढ़ी ही नहीं, बाल भी काफी लंबे
हैं। चेहरे पर एक बड़ा-सा चोट का निशान है। रणवीर उन एक्टर्स में शामिल हैं जो
सिर्फ एक्टिंग करने के लिए ही नहीं जाने जाते अपितु अपने किरदार के हिसाब से ढल
जाने के लिए भी जाने जाते हैं। सुनने में तो यहां तक आ रहा है कि खिलजी के नेगेटिव
शेड में रणवीर ने खुद को इस कदर ढाल लिया कि उनका अपने दोस्तों से बात करने का
तरीका भी इस कैरेक्टर जैसा ही हो गया। और वह खिलजी के प्रभाव से बाहर निकलने के
लिए साइकेट्रिस्ट की मदद ले रहे हैं।
रणवीर सिंह कहना है कि ख़िलजी के रूप में
देखकर आपको यकीन हो जाएगा कि उन्होंने अपने किरदार में उतरने के लिए कितनी मेहनत
की है। क्योंकि अलाउद्दीन खिलजी को स्क्रीन पर उतारना आसान नहीं था |
साहित्य और इतिहास में ‘पद्मावती’
अब एक नजर डालते हैं मलिक मोहम्मद
जायसी के महाकाव्य ‘पद्मावत’ की कुछ पंक्तियों पर, जिनमें रानी पद्मिनी
के विषय में उन्होंने लिखा था। उनके अनुसार पद्मावती की इतनी गोरी और सुकुमारी थी
कि अगर वे पानी भी पीती तो उनके गले की नली से पानी उतरता हुआ देखा जा सकता था, अगर वे पान खातीं तो
पान का लाल रंग उनके गले की नजर में आता।
तन चितउर, मन राजा कीन्हा ।
हिय सिंघल, बुधि पदमिनि चीन्हा ॥
गुरू सुआ जेइ पंथ
देखावा । बिनु गुरु जगत को निरगुन पावा ?॥
नागमती यह
दुनिया-धंधा । बाँचा सोइ न एहि चित बंधा ॥
राघव दूत सोई सैतानू । माया अलाउदीन सुलतानू ॥
प्रेम-कथा एहि भाँति बिचारहु । बूझि लेहु जौ बूझै पारहु ॥
इस कविता के अनुसार रानी पद्मिनी /
पद्मावती चितौड के राजा राणा रतन सिंह की पत्नी थी और समकालीन सिंहली (श्रीलंका का
एक द्वीप) राजा की बेटी थी।
हिन्दी के साहित्यकार, समालोचक
रामचंद्र शुक्ल ने अपनी किताब ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ में ‘रानी पद्मावती’ का
जिक्र किया है। आचार्य शुक्ल लिखते हैं, जायसी की अक्षय
कीर्ति का आधार ‘पद्मावत’ है। उन्होंने तीन पुस्तकें लिखीं - पद्मावत, अखरावट, आखिरी कलाम। जायसी
अपने समय के सिद्ध फकीरों में माने जाते हैं। अमेठी राजघराने में इनका बहुत मान
था। कबीर ने अपनी झाड़-फटकार से हिंदू-मुसलमान के कट्टरपन को दूर करने का प्रयास
किया। लेकिन जायसी ने हिंदू और मुसलमान के दिलों को आमने-सामने करके अजनबीपन
मिटाने का काम किया। पद्मावत कहानी में इतिहास और कल्पना का योग है। इस कहानी का
पूर्वार्ध (शुरुआत) पूर्ण तरह से कल्पित है लेकिन उत्तरार्ध (अंत) ऐतिहासिक तथ्यों
पर आधारित है।
वहीं राजस्थान सरकार की पर्यटन वेबसाइट
के मुताबिक, अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ की रानी पद्मावती के प्यार में पड़ने की कहानी
कोई कल्पना नहीं इतिहास है। सरकारी वेबसाइट में अलाउद्दीन के चित्तौड़ की रानी के प्रेम
में पड़ने के बाद आक्रमण का समय 13 वीं सदी बताया गया है।
इतिहासकार हैदर के अनुसार- जो साहित्यिक
चीज़ें ज़्यादा लोकप्रिय होती हैं। गंभीर ऐतिहासिक तथ्य, तथा
उसकी व्याख्या आसानी से जनमानस में जगह नहीं बना पाते हैं। ऐसी प्रवृत्ति हर जगह है और यह
हमारे देश में भी है। जो ज़्यादा दिलचस्प है वो ज़्यादा लोकप्रिय होगा और जिन तथ्यों
से दिलचस्पी पैदा नहीं होती है वे लोकप्रियता हासिल नहीं कर पातीं।
इतिहास
की सबसे लोकप्रिय रानी
पद्मावती के लोकप्रिय होने की वजह यह
है कि स्थानीय राजपूत परंपरा के तहत चारणों ने इस किरदार का खूब बखान किया। इस वजह
से भी यह कथा काफ़ी लोकप्रिय हुई। पद्मावती हमारी वाचिक परंपरा की उपज है और इसका
प्रभाव किताबों से कहीं ज़्यादा है। इसकी पैठ भी काफी गहरी है। हमें इससे कोई
समस्या भी नहीं होनी चाहिए।
कुल मिलाकर संजय लीला भंसाली की फिल्म
पद्मावती इस साल की सबसे विवादास्पद ऐसी फ़िल्म होगी जिसका लोगों को बेसब्री से
इंतजार है। ऐसा माना जा रहा है भंसाली की यह फिल्म दर्शकों पर बाजीराव मस्तानी
वाला जादू बिखेरने में पुनः कामयाब हो जाएगी। लेकिन यह तो फ़िल्म देखने के बाद ही पता
चलेगा की वाकई जिस पद्मावती की खूबसूरती तथा बहादुरी के चर्चे इतिहास में या
मिथकों में या लोगों की कहानियों में श्रुति परम्परा के रूप में बनी हुई हैं उनके
साथ संजय लीला भंसाली ने वाकई कोई छेड़छाड़ की है या नहीं?
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