आजकल स्त्री अस्मिता के नाम पर चारों तरफ हंगामा बरप्पा हुआ है |
राजस्थान में भंवरी देवी के साथ बर्बर अमानुषिक व्यवहार अपराध क्या था भंवरी का बस
इतना सा की उसने दो सवर्ण बच्चियों का बाल-विवाह रोकने का प्रयास किया गांव के
गुर्ज्जरो ने बर्बरता की सारी सीमा लांघ दी | तब भी राजस्थान में यही सरकार थी |
नेताओं ने कहा ये औरत झूठ बोल रही है........ तब ये लोग क्यों नहीं खड़े हुए भंवरी
के पक्ष में, अपराधियों को दंड क्यों नहीं दिलवाया ? और कुछ न सही तो कम से कम उस
घृणित बलात्कारियों के लिए एक फतवा ही जारी कर देते उनका भी ‘नाक काट देने का’ |
लेकिन कुछ भी नहीं हुआ दमन किया स्त्री का और अपराधी था पुरुष |
वस्तुस्थिति बिलकुल नहीं बदली आज भी वही हो रहा है | सात सौ साल पुरानी कहानी को मुद्दा बनाकर हंगामा फैला रखा है | स्त्री की नाक काटने के लिए फतवा जारी कर दिया | वाह जज भी आप वकील भी आप और गवाह भी आप फिर सजा तो मिलेगी स्त्री को | इन्हें 15-20 साल से अपनी अस्मिता और सम्मान की लड़ाई लड़ रही स्त्रियाँ क्यों नहीं दिखाई देती जो आज तक इन्साफ की आस लगाए बैठी हुई हैं | स्त्री तो स्त्री है चाहे वह महरानी हो या दलित भंवरी देवी | मान-सम्मान तो सबका बराबर है |
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