बागबान
बड़े प्यार से अपने बाग़ की बागवानी करता है ;जब उसका पौध लहलहाता है फलता-फूलता है,बागवान
खुशी से झूम उठता है | आज अपनी भी स्थिति कुछ ऐसी ही थी | मेरा विद्यार्थी नवीन
मेरे घर आया | जनाब भारतीय सेना में है, जम्मू-कश्मीर में बरखुरदार की पोस्टिंग है
| जब ये बारहवीं कक्षा में था ;- हमेशा मुझसे डांट खाता था | बड़ा ही आलसी और सुस्त
किस्म का था | बैक बेंचर तथा कक्षा में सोना इसका पंसदीदा काम था | मैं इसे हमेशा
लम्बा चौड़ा भाषण देती थी कहती थी hibernation से निकलो खाना और सोना जानवरों का
काम है हम मनुष्य बुद्धिजीवी हैं | तब जाकर कुछ क्षण के लिए सक्रिय हो जाता था |
तेलंगाना निजामबाद से होने के कारण इसकी हिन्दी में दक्खिनी पुट है | बड़े ही
इत्मीनान भाव से कहता था ‘मैम आप टेंशन नको लो’ मैं कुछ करूंगा ! वाकई इसने कर
दिखाया !! भारतीय सेना में अधिकारी है लेकिन आज भी उतना ही आलसी ! घर आता है चेहरे
पर जटा-जुट अच्छे से उगा लेता है | इसकी बानगी आप मेरे साथ इसकी आज की तस्वीर में
देख सकते हैं |
फोन पर जब भी बात करता है इसका पहला सम्बोधन ‘जय हिन्द’ मैम ही
रहता है | भारत-पाकिस्तान के सरहद पर बन्दा फिलहाल तैनात है | पहली पोस्टिंग इसने
वहीं लिया है | बड़ी ही निगेबान है इसकी आँखे | एकदम चौकन्ना और चौकसी से दुश्मनों
से देश की हिफाजत करता है | आतंकियों से बाएं पाँव में गोली खाकर फिलहाल अपने घर
पर तीन महीने से स्वास्थ्य लाभ कर रहा है | कल जब इसने फोन किया तो इसने कहा मैम सिकन्दराबाद कैंटोनमेंट में मुझे कुछ आवश्यक काम
है; आप घर पर रहेंगी क्या ? मैं आप से मिलना चाहता हूँ | मैंने कहा बिल्कुल
तुम्हारा अपना घर है आ जाओ | तीन बजे इसने फोन किया; गूगल देवता के माध्यम से
मैंने अपने फ्लैट का लाइव लोकेशन इसे भेज दिया | आधे घंटे में बरखुरदार मेरे घर पर
हाजिर | पाँव छुने के साथ जय हिन्द मैम उसका चिरपरिचित अभिवादन | मेरे घर में एक सेकेण्ड भी बैठा नहीं रसोई में
मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया | मैंने कहा पाँव ठीक नहीं है जाकर बैठ जाओ मैं आती हूँ|
हँसते हुए कहने लगा हम फौजियों के लिए ये छोटी-मोटी बात है | फिर डाइनिंग टेबल पर उसका पसंदीदा कचौरी-आलू और इलायची अदरक वाली चाय दुनिया जहां की बातें |
हाँ चाय वह प्याला में डालकर फूंक-फूंककर पी रह था ! मैंने पूछा ये क्या है ? ऐसे
क्यों चाय सर-सर कर पी रहे हो ? कप में आराम से पीओ | हँसने लगा कहा मैम डीयुटी
में इतना समय नहीं मिलता और चाय भी एक ही बार मिलता है | इसलिए ऐसे ही आदत हो गया
है | आप भी ऐसे पीकर देखो | फिर हमने भी अपनी चाय प्याला में डाल दी और सर-सर के
ध्वनि का आनन्द लेते हुए चाय पीने लगे| कक्षा में यह सबसे लम्बा था इसलिए यह अपने
मित्र मंडली में पट्ठा फेम से जाना जाता था | आज भी तो ऐसे ही है बिलकुल नहीं बदला
| जब चलने लगा मैंने कहा अपना ख्याल रखना घर पहुँचते ही टेक्स्ट कर देना |
चिरपरिचित अंदाज में उसने कहा मैम आप टेन्शन नहीं लो |
प्यार से एक चपत मैंने उसके
पीठ पर लगा दिया | ढेर सारा आशीष, खुब तरक्की करो, आगे बढ़ो कर्मयोगी बनो मेरे फौजी
– शुभकामनाएं
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