शुक्रवार, 2 मार्च 2018

खुबसूरत चेहरे बिखरती जिन्दगी



स्त्री के बारे में कहा गया है की उसे 16 साल में पैदा होना चाहिए और 32 साल में मर जाना चाहिए ! पुरुषों के बारे में ऐसा क्यों नहीं कहा जाता ? 54 साल के सलमान अभी भी दर्शकों के हीरो हैं लेकिन 54 साल की श्रीदेवी शराब में डूबकर घुट-घुटकर मर जाती है | मीना कुमारी, मधुबाला,स्मिता पाटिल ने भी तो 40 से पहले संसार को अलविदा कह दिया | ग्लैमर की दुनिया का चकाचौंध यहाँ दस साल में स्त्री आउट डेटेड हो जाती है | लानत है ऐसी व्यवस्था पर तरस आता है समाज की सोच पर | मोना कपूर हों या सुनन्दा पुष्कर ये तो बस प्रतीक भर हैं पुरुष पसंद की देह चुनता है और स्त्री बदलता है बाद में वह फ़ेंक दी जाती है | श्रीदेवी के अभिनय की मैं प्रशंसक थी लेकिन विवाह के लिए चयन के फैसले से बिलकुल असहमत | 90 के दशक में मोना कपूर की निर्दोष दर्द भरी आँखें कैंसर से जूझती मां अस्पताल में अंतिम साँसे गिन रही थी | तनाव ग्रसित दोनों बच्चे अर्जुन और अन्शुला लगातार कुछ न कुछ चबाते रहते और भयंकर मोटे हो गये | बाद में ‘सलमान के फैन सुपरमैन’  लड़के ने वजन कम किया और शो बिजनेश से जुड़ गया |
           मायानगरी मुंबई की माया अजीब है यहाँ मानवता कम यथार्थ  की भौतिकता बड़ी है | नैतिक मूल्य कम और वस्तु मूल्य बड़े | मृत्यु तो नियति है परन्तु यूँ | बोनी कपूर की पहली पत्नी का दर्द  इस ग्लैमर में चीखता सा दिखता है | शिल्पा भी तो कुंद्रा की दुसरी पत्नी हैं | नाम तो कई हैं आमिर, ऋतिक, सैफ, धर्मेन्द्र, सलीमखान, रेखा के ग्लैमर को याद रखने वालों को याद होगा की उनकी शादी हुई और दो महीने बाद ही उनके पति ने दुपट्टा से लटकर फांसी लगा ली थी | दिव्या भारती नयी उम्र की उभरती नायिका शादी करते हीं छत से कूदकर मर गईं | गुलशन कुमार को सरेआम दौड़ा-दौड़ाकर मार दिया गया | परवीन बाबी पुरी तरह विकलांग अकेलेपन को झेलती हुई मर गई , तीन दिन बाद लाश सड़ने के बाद दरवाजा तोड़ा गया | पूनम ढिल्लन को बीस साल तक यातनाएं मिली बाद में शादी त्यागकर वापस आयीं | मन्दाकिनी नामकी मुस्लिम अदाकारा जासमीन न जाने कहाँ गायब हो गई ? किम काटकर लिस्ट लम्बी है ........ममता कुलकर्णी की भयंकर जीवन गाथा किसे पता ? दर्द है उन सबका जो नेपथ्य में हैं जिनके पास ग्लैमर की सीढ़ी नहीं रहने से एक ठोकर और  एकाकीपन रह गया है | ऐसे में केवल कुछ ऐसे लोग रह जाते हैं जो दोनों तरफ कुछ रोशनी कुछ सिद्धांत कुछ नियम रख पाते हैं|

यही सिनेमा है जिसे देखने के लिए हाल की सब बत्तियाँ बंद करनी पड़ती है |  

अर्पणा दीप्ति 
   

      


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