शुक्रवार, 3 अक्टूबर 2025

गिरते हुए आप कहाँ अटक रहे हैं यह भी बहुत महत्वपूर्ण है।

 मैंने आसानी से उन चीजों की तलाश छोड़ दीं जो मुझे पसंद रहीं और उन पर राज़ी होना सीख लिया नियति मेरे रस्ते में लाती गई। इसमें कोई बुराई नहीं! इंसान भाग्य को रोता है पर नियति को स्वीकारता भी है। कर्म अपने हाथ में है और कुछ प्रारब्ध भी है।

खैर! इस भूमिका के पीछे बात इतनी ही है कि बचपन में फोटोग्राफी का एक शौक चढ़ा। लगा आगे भी की जाएगी। मेरी सबसे प्यारी सखी ने एक कैमरा खरीद कर दिया था जब मैं पहली बार दिल्ली जा रही थी। उस ट्रिप या उसके बाद भी कुछ कुछ तो करती रही पर नियमित नहीं रही। इसलिए शौक या स्किल कुछ अधिक विकसित हुआ नहीं। एक और कमी है मुझमें फ्रेम बनाने का धैर्य या रोशनी और छाया के खेल को पकड़ने का हुनर भी नहीं। फिर भी शौक ज़ोर मारता है कभी कभी।
इसीलिए यह भी करती हूँ।




गिरते हुए आप कहाँ अटक रहे हैं यह भी बहुत महत्वपूर्ण है।
अर्पणा

गुरुवार, 28 अगस्त 2025

हैदराबाद की सड़कों पर कहीं

 बारिश होकर जा चुकी है थोड़ी फुहारें अभी भी बाँकी हैं । आसमान नीला और धुला हुआ दिख रहा है । पत्ते अपने अलग अलग हरे रंग में चमक रहे हैं । नाले भी कुछ इठलाती हुई है। सड़कों पर थोड़ा पानी है पर थोड़ा ही। जाने क्यों मन भरा हुआ है। रात सपने में बहुत चलना हुआ। उसी की थकन होगी। वरना बारिशें किस मन को धो पोंछ नहीं देती?

यूँ तो यह हैदराबाद का सबसे सुंदर हिस्सा नहीं पर बारिश ने इसे भी थोड़ा संवार दिया।
#हैदराबाद # हैदराबाद की सड़कों पर कहीं




परंपराओं को वक़्त के हिसाब से बदलना चाहिए

 यूँ तो शिव के अनंत रूप हैं पर पार्वती वल्लभं सर्वाधिक काम्य है। पार्वती ने शिव की अन्यमनस्कता, पिता की इच्छा और सामाजिक परिस्थितियों, अन्य बेहतर विकल्पों की मौजूदगी के बावजूद अपने प्रेम में उनका वरण किया और विवाह के बाद भी भूतनाथ को उनके स्पेस में वह रहने दिया जो वह थे। व्यक्तिगत स्वायत्ता और प्रेम का ऐसा मेल आकर्षित करता है।

खैर! यह मेरी रीरिडिंग है शिव-पार्वती की कथा का।
बाकी व्रतों/कथाओं/परंपराओं को वक़्त के हिसाब से बदलना चाहिए ही।




गिरते हुए आप कहाँ अटक रहे हैं यह भी बहुत महत्वपूर्ण है।

  मैंने आसानी से उन चीजों की तलाश छोड़ दीं जो मुझे पसंद रहीं और उन पर राज़ी होना सीख लिया नियति मेरे रस्ते में लाती गई। इसमें कोई बुराई नहीं!...